नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर
चाँद अब भी मुस्कुराता,अपने अंदाज में चलता जाता
चाँद अब भी मुस्कुराता अपने अंदाज़ में चलता जाता।। चाँदनी संग निकालता ढलता जाता। चाँद को देखता हूँ…
चाँद अब भी मुस्कुराता अपने अंदाज़ में चलता जाता।। चाँदनी संग निकालता ढलता जाता। चाँद को देखता हूँ…
मजबूर नहीं मजलूम नहीं मजदूर है हम। मेहनत मेरा ईमान खून पसीना बहाते हम।। मेरा अपना घर जीवन का सप…
स्त्री तेरी अज़ब कहानी तूने युग सृष्टि में ना जाने कितने वर्तमान इतिहास जुबानी।। ना जाने कितने…
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें हिंदी माथे की बिंदिया हिंदी हिंदुस्तान है। इसे दमकने और चमकने …