छत्तीसगढ़ी कविता

माघी पुन्नी मेला

माघी पुन्नी मेला  अब्बड़ आस लगाए हो  धनी पुन्नी मेला घुमादे । सऊख रखे हंव किंदरे के  किंदार के मो…

धनी बर मया

धनी बर मया चिरइया मन चहकन लागे पुरवइया गाए गाना सुन ना धनी बात ला मोरो पिरित के धुन बजाना अंगना म…

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