चिरइया मन चहकन लागे
पुरवइया गाए गाना
सुन ना धनी बात ला मोरो
पिरित के धुन बजाना
अंगना मा तुलसी चौरा अऊ
लइका मन खेले भौरा बाटी
मोरो बर बिसाते जोड़ी
शहर के सिलकन सारी
खनन खनन खनकातेव बांहा
भर चूरी लेवा देते जोड़ी मोर।
छनन छनन बजातेव पांव बर
पैरी लेवा देतेव धनी मोर।
आंखी बर काजर लातेव
मुंहू बर लातेव लाली।
मया के गीत मा झूमतेन दूनो
पाहिर के लुगरा लाली।
रचनाकार _योगिता साहू
कुरूद, धमतरी, छत्तीसगढ़
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छत्तीसगढ़ी कविता