कितना भी तुम ढूंढ लो चाहे , मिलता नहीं है छोर
कितना भी तुम ढूंढ लो चाहे , मिलता नहीं है छोर दृष्टि गोचर होती नहीं है , अदृश प्रेम की डोर प्रेम…
कितना भी तुम ढूंढ लो चाहे , मिलता नहीं है छोर दृष्टि गोचर होती नहीं है , अदृश प्रेम की डोर प्रेम…
सब्ज़बाग़ दिखा,मुझे बहला रहा है वो नए नए ख़्वाब मुझको दिखा रहा है वो चुनाव का मौसम आ गया है तभी तो ब…
मुस्कान इक चाहत की हसरत हैं हमारी। इक मुस्कान हो गुल से भी प्यारी। लगता हैं..... हमे चढ़ा हैं…
। 💌 । पैग़ाम । 🕊️ । ना वो मेरी जान थी ना कोई पहचान थी। अचानक एक पैग़ाम आया। तन्हा बैठे थे हम हम…
अच्छी लगी जो ग़ज़ल तुम पर कही अच्छी लगी तुम पे अपनी आशिक़ी अच्छी लगी तुमने हौले से ज़रा मुस्का …
मौज़ू-सहारा कहीं तो सहारा मिले गा, हमें भी हमारा मिले गा! यहाँ लोग शादी-सुदा हैं,…
ग़ज़ल अदीक्षा देवांगन"अदी" बह्रे-मुत्दारिक मुसम्मन सालिम, दिल बुरा देखिए या भला देखिए, …
ग़जल-अदीक्षा देवांगन"अदी" बह्रे-मुत्दारिक मुसम्मन सालिम, वक़्त चलता रहा मैं खड़ी रह गई,…