कहीं तो सहारा मिले गा,
हमें भी हमारा मिले गा!
यहाँ लोग शादी-सुदा हैं,
कहीं तो कँवारा मिले गा!
कभी बात होती रहे गी,
हमें वक़्त सारा मिले गा!
कहीं बादलों में छुपा है,
जमीं पे सितारा मिले गा!
बिना नाख़ुदा यार क़िश्ती,
भँवर से किनारा मिले गा!
ग़मे-ज़िंदगी में कभी तो,
खुशी का पिटारा मिले गा!
कि ठंडी हवा भी चली तो,
बहुत गर्म पारा मिले गा!
चलो अब चलें उस डगर में,
सुहाना नज़ारा मिले गा!
"अदी"आज ये तो बताओ,
कहाँ इश्क़ यारा मिले गा!
अदीक्षा देवांगन" अदी"
बलरामपुर(छत्तीसगढ़)
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