बह्रे-मुत्दारिक मुसम्मन सालिम,
दिल बुरा देखिए या भला देखिए,
मौत को मार दे वो बला देखिए!
नफ़रतों की गली में किसी मोड़ पर,
प्यार का इक दरीचा खुला देखिए!
भीड़ में ख़्वाहिशें मुंतशिर हो गए,
उठ रहा है ग़मे -जलजला देखिए!
छुप गया चाँद तो सूर्य आया नज़र,
चल रहा है यही सिलसिला देखिए!
फँस गईं गोपियाँ प्रेम के जाल में,
नंदलाला बड़ा चुलबुला देखिए!
आशिक़ी में जिए आशिक़ी मे मरे,
मनचला देखिए दिलजला देखिए!
मत डराओ मुझे मौत से ऐ"अदी"
मौत की गोद में हूँ पला देखिए!
अदीक्षा देवांगन "अदी"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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