*अदी के दोहे!* (१) दो आने की बाँसुरी, सुर तेरा अनमोल! अधर धरैं धनश्याम तो,प्रेम…
धूप छांव बृंदावन राय सरल सागर एमपी धूप छांव इंसान के ,है जीवन का सार।। हर मानव को कब मिला , सारा…
माँ पर दोहे करुणा किसलय से भरा, माता का दरबार। सच्चा है दरबार यह, सच्चा माँ का प्यार ।। चरणों …
अनुजयी दोहे -(झलकृत शूल उसूल ) रोते हैं दिखते नहीं, बाबूजी मुस्कात । अंगुल पकड़े थे कभी, छोड़ चले व…
परिचय --अनुजयी दोहे पुष्प बरौठा बाग का ,अमरौली माँ छाँव । गीतों की महफिल सजे,गजल गूंजती गाँव ।।✍…
भोर देखते मिट गई , तेरी शाम कलाम । उलझ पड़े निर्लज्ज बन , थोती राह विराम ।। सुबह हुई रवि रात से ,…
दोहा छंद मिट्टी खातिर जान को जिसने की कुर्बान, कैसे भूले वीर को जो भारत की शान।। उन वीरो में एक ह…
दीनबंधु को कीजिए, उठा कर नित प्रणाम। राम राम प्रिय बोलिए, ऊंचा होगा नाम।। दीनबंधु कहते यही, मातु …
[31/08, 14:01] वृन्दावन राय सरल: १,,कोरोना से सब डरें,बूढ़े प्रौढ जवान।। छूने से ये फैलता, ले लेत…
*विधा-------दोहा* *विषय-------रजत* ~~~~~ रजत चाँदनी खिल उठी,लगता स्वर्णिम खास। छिपा तिमिर अब बाद…