Homeदोहा भोर देखते मिट गई , तेरी शाम कलाम byआवाज़-ए-हिन्द -April 06, 2021 भोर देखते मिट गई , तेरी शाम कलाम ।उलझ पड़े निर्लज्ज बन , थोती राह विराम ।।सुबह हुई रवि रात से , करता मात सलाम ।तेरा ही बस चांद है , मामा बनत गुलाम ।।डॉ अनुज प्रताप सिंह चौहान अलीगढ़ । Tags: दोहा Facebook Twitter