कोरोना पर इक्कीस दोहे

[31/08, 14:01] वृन्दावन राय सरल: १,,कोरोना से सब डरें,बूढ़े प्रौढ जवान।।
छूने से ये फैलता, ले लेता है ‌जान।।

२,,कोरोना से आज भी , दुनिया है 
भयभीत।।
कब इससे मुक्ति मिले, कब हो इस पर जीत।।

३,,मास्क ज़रूरी आजकल, हर
मानव को आज।।
दो‌ गज की दूरी रखे ,जब जब
मिले समाज।।

४,,घर में रहिये आप सब, घर पर
करिये  काज।।
कोरोना के रोग का, केवल
यही इलाज।।

५,,दूकानें सब बंद हैं सड़कें हैं
सुन सान।।
शहरों के भी हाल ये,लगते हैं 
वीरान।।

६,,मजदूरों के कष्ट हम , कैसे करें
बखान।।
खाने को कुछ भी नहीं, रहने 
नहीं मकान।।
[31/08, 14:01] वृन्दावन राय सरल: ७,,,पाँच पाँच सौ मील भी,पैदल 
चले मजूर।।

पैरों में छाले रहे,इतने थे मजबूर।।

८,,लाक डाउन में ये चले, पैदल 
ही दिन रात।।
इनके‌ मगर बचाव की, सुनी गई 
ना, बात।।

  
९,,साफ सफाई स्वच्छता ,हुआ
जरूरी काम।।
कोरोना‌ का रोग भी,इनको करे
सलाम।।


१०,,हाथ मिलाना छोड़ दो,दे 
कोरोना सीख।।
वरना मरकर‌ मांगना ,तुम जन्नत
में भीख।।
[31/08, 14:01] वृन्दावन राय सरल: ११,,कोरोना के रोग के,जो
जो हुए शिकार।।
कुछ तो वापिस आ गये,कुछ
छोड़े संसार।।

१२,,,कोरोना के काल में,घर रहिये श्रीमान।।

धन भी कुछ‌बच जायगा,रहे
सुरक्षित जान।।
[31/08, 14:01] वृन्दावन राय सरल: १४,,खुशियां ‌बेघर‌ हो गई,मानवता बीमार।।

जीना दूभर आज है, कोरोना 
की मार।।
[31/08, 14:01] वृन्दावन राय सरल: १३,,,कोरोना‌ से लड़ रहे।सभी
डाक्टर नर्स।।
लगे सभी उपचार में, खूब करें
संघर्ष।।
[31/08, 14:01] वृन्दावन राय सरल: दोहा,,१६,,
घर में रखिए कायदे, करो नियम
से काम।।
 रोज गरारे नमक के, करो मिले
आराम।।
दोहा १७,,,
हाथ धोयिए आपसब, साबुन
से हर बार।।
इससे ही संभव दिखे, कोराना
की हार।।
दोहा,,,,१८
ऐसा जग में कौन सा,देश
नहीं है आज।।
कोरोना का इन दिनों, खोजें
नहीं इलाज।।

दोहा,,,१९
खान पान अच्छा रखें, करें
दूर से बात।।
बचे रहें हम भीड़ से,दिन हो चाहे
रात।।

दोहा,,,२०,,,
कोरोना की मौत का,आया समय
करीब।।
धीरज सब धारण करो,जग के
धनी गरीब।।

दोहा,,,,२१,,,

इस जग में मानव करे, हर
 मुश्किल आसान।।
जीवन भर लड़ते रहे,श्री राम
भगवान।।
  ‌ प्रतियोगिता कोरोना पर
बीस दोहा
बृंदावन राय सरल सागर एमपी मोबाइल नंबर 786 92 18 525 वरिष्ठ कवि एवं शायर सागर मप्र
[31/08, 14:01] वृन्दावन राय सरल: १५,,,बुझा बुझा  बीमार सा, दुनिया का इंसान।।

कोरोना ने छीन ‌ली, लोगों की
मुस्कान।।

वृन्दावन राय सरल
सागर मध्यप्रदेश 

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