बृंदावन राय सरल सागर एमपी
धूप छांव इंसान के ,है जीवन का
सार।।
हर मानव को कब मिला , सारा
सुख संसार।।
कोई रहता महल में, कोई पथ पर सोय।।
कोई खाये खीर तो, कोई भूखा रोय।।
कोई दरिया पी रहा, कोई ढूंढे नीर।।
दुनिया में सबकी कहां, एक रही
तकदीर।।
धूप छांव जैसे यहां, हर मानव का भाग्य।।
इक राजा इक रंक है।।जिसका
जो सौभाग्य।।
धूप छांव की बात पर,, मानव का अधिकार।।
कोशिश से मोड़ें यहां, लोग नदी की धार।।
धूप-छांव दोनों चले ,हर मानव के साथ।।
मगर रखें विश्वास हम,रक्खें कर्मठ
हाथ।।
बृंदावन राय सरल सागर एमपी मोबाइल नंबर
786 92 18 525,
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दोहा