संसद बिकने वाला है
लोकतंत्र का दम निकाल
सम्पुर्ण आज बिकने वाला है
चीख रही अब देश की मिट्टी
पुछ रही सौगन्ध कहा गयी
ना देश बिकने की और ना देश झुकने की
देश में जब बिकती सार्वजनिक संपत्ति
समाजवाद के ध्वज धारक भी, अब मौन हैं
सत्तासीन सामन्ती सत्ता में
सामंतवाद का दौर है
यक्ष-प्रश्न ताक पर
राह तकती लोकतांत्रिक जनता
कुव्यवस्था के इस भूचाल में
दफ़न अब ,भुगोल का स्वर्णिम इतिहास है
याद करो "दिनकर" के कथन
जय प्रकाश और लोहिया के
युवा हो युवराज नहीं तो क्या
युवाराज का शुरुआत करो
#कमलेश कुमार गुप्ता
गोपालगंज बिहार
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कमलेश कुमार गुप्ता