नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
साल दर साल आते हैं हरसाल यादगार बन जाते हैं लम्हें जीवन की सुखद अनुभूति दे जाते हैं समस्याओं के आ…
साल दर साल आते हैं हरसाल यादगार बन जाते हैं लम्हें जीवन की सुखद अनुभूति दे जाते हैं समस्याओं के आ…
बीता हुआ साल बहुत सी यादों के साथ ये साल जा रहा है कुछ खास यादों जीवान में जोड़कर और कुछ यादों …
आ जाओ हे! 2021 मन टूटा - लोग टूटे किसी का सहारा रोजगार छुटा घर से लोगों का नाता टूटा दे गए ह्रदय …
मुजफ्फरनगर:- मुजफ्फरनगर जिले के जाने माने सुप्रसिद्ध साहित्यकार साहित्यिक पुरस्कार पुरुष अनेक संस…
साहित्य क्या है? (एक धाराप्रवाह गीत) जिसमें मानव के दर्शन हो। जो पावन पुण्य समर्पण हो।। जो संस्कार की बो…
शीर्षक - महक विधा -कविता दिनांक: 25-12-2020 ये जो भीनी सी महक आ रही है तेरे केशु की मुझे तड़पा रह…
विषय- प्रतीक्षा विधा- काव्य सोलह सिंगार से होकर तैयार दरवाजे पर बेटी कर रही है इंतजार हाथों में उ…
शीर्षक - मैंभारत का किसान हूं मैं किसान भारत का धरा,वायु ,जल,अग्नि चीर कर नित नूतन सृजन करता हू…
सजग रहो ये किसानों भारत के (किसान दिवस पर किसानों को समर्पित) सजग रहो ये किसानों भारत के, मानो नहीं हार, देर …
मेरा शहर- - भावनाओं से लिखता हूँ मैं सृजन के गीत यहाँ पढ़ने वाला शहर में कोई बेरोजगार मिला नही ! …
*नीम हक़िम* ----------------- मीम, भीम, नीम, हक़िम, किस मर्ज की दवाई! फलां वादी, ढेमका वादी, किस खेत के मुरा…
एक भिखारी मंदिर गया मस्जिद गया चर्च गया पर दिन भर में एक रुपया ना पाया शाम को मदिरालय के बाहर बैठा जो भी आ…
*विधा- ख़्याल/कविता* बहुत हमकों सताया है के अब हम थक के बैठे हैं बहुत हमको रुलाया है के अब हम थक के बैठे हैं क…
!!बाबा साहब !! भारत-रत्न ,समाज सुधारक, संविधान के सृजक मनन । परिनिर्वाण- दिवस पर बाबा , तुमको शत-…
जीवन:एक यात्रा ************** मानव जीवन जिंदगी के विभिन्न पड़ावों को पार करते हुए अपनी अंतिम यात्र…
मां सरस्वती की वंदना विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती देवी मां सरस्वती, करते हैं हाथ जोड़ …
क़लम रो पड़ी एक दिन मेरी लोगों जो लिखा ग़ज़ल में फ़साना हमारा हर एक शब्द लिखा कलम ने तुझे बस पड़ा महँगा…
किसान नहीं ईश्वर है तू! सुन हुआ मैं हैरान जाम में फंसे लोगों को पानी , फल देंगे किसान! ऐसे महान क…
*काव्य- सृजन साहित्यिक परिवार का ऑनलाइन कवि सम्मलेन सम्पन्न हुआ* --------------------------------…
भोर का तारा ********** निशा जा चुकी, अपने घर पर, फैल रहा हैै अब उजियारा। गूंज उठा सं…