आग तपन अभिमान ,
प्रलय प्रबल मुस्कान ।
सहज भाव पावन सुखद,
सत्य कर्म गति ध्यान ।।
दीवारों को देख ,
काल रीति संरेख ।
खिलते जो मन बाबरे ,
घायल गीत सुलेख ।।
सबल जन्तु मुस्कात ,
जल पावक खिशियात ।
अनुज सखा घायल लगें,
पवन राग मुरझात ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ ,उत्तर प्रदेश ।
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कविता