कविता :- हमारी लेखनी क्या है बोलती?
रचनाकार:- अमन कुमार होली "पवित्र"
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सुनों गौर से हमारी लेखनी क्या है बोलती?
हमारी लेखनी सदा क्रांति की इंकलाब है बोलती।
देखो आधुनिक जयचंदों की मिलाप क्या है बोलती?
मेरी लेखनी सदा देशद्रोहियों के खिलाफ है बोलती।
सदियों से सहिष्णु मॉऺ भारती की संस्कार क्या है बोलती?
विविधता में एकता की निशां क्या हैं बोलती?
गंगा जमुनी सदियों की पुरानी हमारी तहज़ीब क्या हैं बोलती?
कौमी एकता में दरारे क्यों हैं? उन दरारों की गहरी निशान क्या हैं बोलती?
है राष्ट्र शिरोमणि भारत की तस्वीर क्या है बोलती?
वीर सेनानियों, सपूतों की बलिदान क्या हैं बोलती?
है श्वेत कपोत उड़ाते जग में, उनमें लाल धब्बों की निशान क्या है बोलती?
भारत अब असहिष्णु है, गद्दारों की कालिख जुबान क्या है बोलती?
टुकड़े टुकड़े गैंग धारियों की गंदी जुबानें क्या है बोलती?
यदि ऐसे हमारे देश के भविष्य विधाता हैं
तो हमारी आने वाली भारत की तक़दीर क्या है बोलती?
सुनो वीर रसधारी "अमन" की यह लेखनी "पैंनी तलवार" क्या है बोलती?
अभी भी अमीर गरीबों के बीच की दूरियां क्या है बोलती?
जो जी तोड़ मेहनत करें भूखे पेट, उनकी व्याकुल कातर निगाहें क्या है बोलती?
आज भी पीठ पर कचरों की बोरियां लाधे, उन बच्चों की अधूरी अरमानें क्या है बोलती?
न्यालयों, दफ्तरों थाने वाले बाबूओं की रिश्वती गर्म जेबें न जाने क्या-क्या है पोल खोलती?
सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे गरीब बच्चे
अंग्रेजी माध्यम से ले रहे होंड़
उनकी संघर्ष की गाथाऐं क्या है बोलती?
चांद पर जा चुका भारत आज, चिकित्सा की इबारत लिख रहा भारत आज
पर सरकारी अस्पतालों में इलाजों के अभाव से बिलखते
गरीब पीड़ितों की आंसूओं में झलकती दर्द क्या है बोलती?
कदाचारों की आड़ में डिग्रीयां बांट रही विद्यालय, महाविद्यालयों की
धोखेबाजी क्या है बोलती?
नकल करते विद्यार्थियों की लंबी कतारें हैं।
हर वर्ष उत्तीर्ण होती नव पीढ़ियों की क्या उज्जवल भविष्य होंगी?
विश्व गुरु बनने चला भारत यह समस्याएं सदियों से क्या है बोलती?
बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियों में, नेताओं के झूठे वादे क्या है बोलती?
अधूरी अस्पतालें, जर्जर सेतुओं सड़कों के बड़े-बड़े गड्ढे क्या है बोलती?
सीमाओं पर दिन रात डटे , होनहार बेटों की भीषण तपस्याएं क्या है बोलती?
सेनाओं के ऊपर पत्थर फेंकते दिग्भ्रमित कश्मीरी वादियों की जहरीली अबोहवाएं क्या है बोलती?
देखो आधुनिक जयचंदों की मिलाप क्या है बोलती?
हमारी लेखनी सदा देशद्रोहियों के खिलाफ है बोलती।
रचनाकार ©
अमन कुमार होली "पवित्र"
युवा कवि और स्वतंत्र रचनाकार
जिला साहिबगंज झारखंड
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कविता