साहित्य क्या है?
(एक धाराप्रवाह गीत)
जिसमें मानव के दर्शन हो।
जो पावन पुण्य समर्पण हो।।
जो संस्कार की बोली हो।
जो ताप निकंदन होली हो।।
जो वाहक हो परिपाटी का।
जो पूजन भारत माटी का।।
जो मात-पिता का वंदन हो।
जो मलयागिरि सा चंदन हो।।
जो गुरुओं का सम्मान करे।
जो परमपिता का ध्यान धरे।।
जो बागों में फुलवारी में।
जो बच्चों की किलकारी में।।
जो हो बहनों की लज्जा में।
जो नेह स्नेह की सज्जा में।।
जो सत्य सदा बतलाता हो।
जो गीत सुमंगल गाता हो।।
जो किसान की आशा में।
जो जीवन की परिभाषा में।।
जो सच्ची राह दिखाता हो।
जो रस्ता सहज सुझाता हो।।
जो नेह स्नेह का सागर हो।
जो प्रीत भरी सी गागर हो।।
जो अपने वीर जवानों का।
जो धरतीपुत्र किसानों का।।
जो मान करे सम्मान करे।
जो अपनों पर अभिमान करे।।
जो जाति-धर्म से ऊपर हो।
जो अपनों से भी बढ़कर हो।।
जो मानवता का दर्पण हो।
जो सच्चा सत्य समर्पण हो।।
जो ऐसा धर्म निभाता है।
बस *वो साहित्य कहाता है*।।
सर्वाधिकार सुरक्षित
🌹ओम अग्रवाल (बबुआ), मुंबई
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गीत