आ जाओ हे! 2021

आ जाओ हे! 2021


मन टूटा - लोग टूटे
किसी का सहारा रोजगार छुटा
घर से लोगों का नाता टूटा
दे गए ह्रदय में टिस
अलविदा - 2020 

मुँह छुपाए हम दुबके रहे
विद्यालय दफ्तर सड़कें बाजार बंद
क्रंदन करता रहा मन
विषाणु के ड़र से सिसकता रहा मन
अपनों ने बनायी दुरियाँ
अलविदा- 2020

सृष्टि हलाकान रहा
संसार पथ पर रुक गया।
गाँव -बस्ती ; शहर-  नहर 
सुनी हुई और डगर ;
जीवन मे एक सन्देश मिला
अदृश्य शक्ति पर जीत बाकी है
विकास की सीमा नाकामी है
अलविदा - 2020

आओ हे ! 2021
नवसृजन नवसन्देश साथ लेकर
सर्वधर्म समभाव की बीज बोकर
धरा की विषमताओं को
अब समाप्त करो।
राम कृष्ण की तपोभूमि में
अभिनंदन है
आ जाओ हे - 2021

        -  विजय पंडा
             घरघोड़ा

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