कलम

क़लम रो पड़ी एक दिन मेरी लोगों
जो लिखा ग़ज़ल में फ़साना हमारा

हर एक शब्द लिखा कलम ने तुझे बस
पड़ा महँगा लिखकर मिटाना हमारा

शम्मा रोई जलकर उजाला किया और
सुनाया हर एक को तराना हमारा

संजोये थे लाखों हसीं ख़्वाब हमने
लुटाया था किसी पे खजाना हमारा

नही रोये हम था कोई तिनका शायद
समझ बैठे गम सचिन बहाना हमारा

© सचिन गोयल
सोनीपत हरियाणा
IG,, burning_tears_797

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post

Contact Form