Homeकविता एक भिखारी byआवाज़-ए-हिन्द -December 13, 2020 एक भिखारीमंदिर गया मस्जिद गयाचर्च गयापर दिन भर मेंएक रुपया ना पायाशाम कोमदिरालय के बाहर बैठाजो भी आतादस बीस कानोट थमा जाताये देखकर भिखारी बोलाभगवान आप रहते कहां होऔर पताकहां का देते हो । शुभ संध्या एस के नीरज Tags: कविता Facebook Twitter