सच्ची खुशी सत्य लघु कथा
आज सबेरे मार्निंग वाक के दौरान गोल्फ ग्राउंड
धनबाद के सामने पीपल के नीचे चौराहे पर हम कुछ दोस्त बेठे थे तभी एक VIPगाड़ी आकर रुकी
मेरी नजर उधर घूम गई एक सरदार ओर उनकि श्रीमती गाड़ी से उतरी उनके हाथों में प्लास्टिक का
टब था सरदारजी के हाथों में गाय का चारा था उन्होने बड़े प्यार से पाँच सात गायों कॊ चारा दिया गुड की
डली ओर पानी भी पिलाया यह सब करते हुए उनकी आंखों में स्वर्गमयी सुख का अनुभव था गौ माता जी
खुशी से झूम रही थी । में उनके पास गया वो मेरे बहुत पुराने दोस्त रोमी ओर उनकी पत्नी थी ।
मेने जाकर कहा सर आपका एक फोटो लेना चाहता
उन्होने साफ मना करदिया हम पंद्रह सालो से रोज आते है हमें हाईलाईट नहीँ होना । एकाएक पंद्रह साल का वो वाक्या चलचित्र की तरह दौड़ गया । में रोमी जी के फ्लैट में चाय पी रहा था । तभी उनकी श्रीमती बोली सुनों जी पंजाब की याद आरही है वो सबेरे सबेरे गौ माता कॊ चारा देना गोबर साफ करना ओर दूध दूहना कितना अच्छा लगता था । रोमी बोले बात तो सही है परन्तु अपार्टमेंट में गाय रखना तो मुश्किल है परन्तु कल से हम गौ माता कॊ चारा देने रोज चलेंगे यहीं सच्ची खुशी है ।
जय हिंद मेरा भारत महान
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