सजग रहो ये किसानों भारत के
(किसान दिवस पर किसानों को समर्पित)
सजग रहो ये किसानों भारत के, मानो नहीं हार,
देर सबेर तेरी समस्याओं पर, होगा जरूर विचार।
किसी नेता के हाथों का, मत बनो तुम खिलौना,
तेरी परेशानियों की सुधि, लेगी अवश्य सरकार।
स्वार्थी नेता तुमको, स्वार्थ साधकर भूल जाएंगे,
तेरे सपने रौंदकर, कर लेंगे अपने सपने साकार।
सजग रहो ये किसानों भारत के………..
नेता तुम्हें अन्नदाता कहते हैं, चाहिए तेरे वोट,
सत्तर सालों से तुम सह रहे हो, नेताओं की चोट।
ये नेता तेरी समस्याओं को, और उलझा देते हैं,
हमेशा उनके दिल में, पलते रहते हैं बड़े खोट।
जागरूक बनो और जानो अपने सारे सारे अधिकार,
सदा मदद करने को तेरी, कानून रहते हैं तैयार।
सजग रहो ये किसानों भारत के…………..
शुरू से अंत तक तुम, सिर्फ उठाते रहते हो परेशानी,
खुशी ला सकती हर कदम पर, तेरी अपनी सावधानी।
अच्छे खाद बीज मिलेंगे और तेरे खेत को पूरापानी,
अपने सपनों से कभी, मत करने दो मनमानी।
कर्जमाफी से बेहतर है, तेरे लिए अच्छे बाज़ार,
बिचौलियों को बोलो दूर से, जोर से नमस्कार।
सजग रहो ये किसानों भारत के………….
जय जवान जय किसान के नारे से करो प्यार,
नस नस में अपनी, होने दो जोश का संचार।
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो, बनो नागरिक समझदार,
हिम्मत से काम लो, कभी डालो मत हथियार।
तेरी ज्यादा समस्याएं खुद ही सुलझ जाएंगी,
बेचो सीधे बाज़ार में, अपनी प्रत्येक पैदावार।
सजग रहो ये किसानों भारत के……………
तुम बार बार फंस जाते हो, नेताओं की चाल में,
अपना उल्लू सीधा करते, तुम्हें फंसाकर जाल में।
जहां राजनीति है, वहां कुछ तो काला है दाल में,
सारी समस्याओं की जड़ यही है, मेरे ख्याल में।
मत होने दो खुद को कभी, राजनीति का शिकार,
पैदावार और बाज़ार से, जिंदगी में आएगी बहार।
सजग रहो ये किसानों भारत के………….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
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कविता