काव्य-सृजन साहित्यिक परिवार का ऑनलाइन कवि सम्मलेन सम्पन्न हुआ

*काव्य- सृजन साहित्यिक परिवार का ऑनलाइन कवि सम्मलेन सम्पन्न हुआ*
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*प्रयागराज। काव्य- सृजन साहित्यिक परिवार द्वारा ६ दिसंबर को इस संस्था की अध्यक्षा कीर्ति जायसवाल और संरक्षिका प्रेरणा कर्ण द्वारा ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें देश भर के कवियों ने काव्यपाठ किया। कार्यक्रम का संचालन  कीर्ति जायसवाल ने किया। मुख्य अतिथि हेमा श्रीवास्तव हेमाश्री ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें दीप जलाए। तत्पश्चात्  सुमित्रा गुप्ता सखी ने माँ सरस्वती की वंदना की। कवियों ने विभिन्न विषयो पर अपनी प्रस्तुति दी। प्रयागराज के सागर होशियारपुरी ने अपनी रचना पढ़ी- कतरा- कतरा नदी का समुन्दर हुआ, जब समुन्दर में सागर नदी मिल गई; कीर्ति जायसवाल ने पढ़ी- चुपड़ के दर्द को रोटी में ग़म को सारे खा जाती है, आँचल से पीड़ा पोंछे, तानों को तू पी जाती है; आदित्य गुप्त ने पढ़ी- बिना पंख के उड़ना आता, आसमान पर दीवानो को; प्रेरणा कर्ण ने पढ़ी- माँ जैसा नहीं कोई, ईश्वर का रूप होती है, उसके बलिदान के आगे ईश्वर भी नतमस्तक होते हैं; ध्वनि दबंग ने पढ़ी- चाँद तारे से मिले तो चमचमाती चाँदनी, दीप बाती से मिले तो झिलमिलाती रोशनी।  काव्यपाठ करने वाले रचनाकारों में दीन दयाल दीक्षित  दीन, कमलेश कुमार गुप्ता निराला, रमणलाल जादव, नवीन कुमार, रश्मि कौलवार, नीतू सिंह चौहान, हरि नाथ शुक्ल हरि, डॉ० सुनील कुमार परीट, डॉ० मलकप्पा अलियास, सुमित्रा गुप्ता सखी, प्रीति कुमारी, कुमार निर्दोष, ज्ञानवती सक्सैना  ज्ञान, ओम अग्रवाल (बबुआ), कल्पना भदौरिया, जीतेन्द्र विजयश्री पाण्डेय जीत, तिलक तनौदी, सुदेश नूर, हेमा श्रीवास्तव हेमाश्री, कमलेश कुमार राठौर, सुषमा मोहन पाण्डेय, भावना भट्ट, मधु वैष्णव मान्या, रीतु प्रज्ञा, भारत भूषण वर्मा, शम्भु प्रसाद भट्ट, कुमारी चंदा देवी स्नेहिल स्वर्णकार, बृंदावन राय सरल सागर, डॉ० गरिमा त्यागी और रेखा गिरीश के नाम भी शामिल हैं।

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