*नीम हक़िम*
-----------------
मीम, भीम, नीम, हक़िम,
किस मर्ज की दवाई!
फलां वादी, ढेमका वादी,
किस खेत के मुराई!!
बाभन, बनिया,सवर्ण,दलित,
सबके ही हैं रघुराई!
उँच- नीच और भेद-भाव,
किस बात की लड़ाई!!
गोरे,काले,लम्बे व नाटे,
सभी को ये दुहाई!
वोट की चोट से करदो,
भ्रष्ट नेता की विदाई!!
भ्रष्टाचारी, बाबू, अधिकारी,
न सुधरें तो भाई!
सब मिलकर पकड़ो इनको,
जमकर करो धुनाई!!
मजदूर,किसान व व्यापारी,
आपस में करो मिताई!
एक दूजे से बांटो खुशियाँ,
अपने-अपने कमाई!!
दलों के दल-दल मे देखो,
आपस में हैं मनमोटाई!
एक तरफ़ अडिग शासन,
उक्त चोर-चोर मौसेरे भाई!!
इन सभी के बीच अटल,
यह है एक सच्चाई!
सुनो सभी कहती "अदीक्षा"
बाकी तो राम दुहाई!!
=====================
*कुमारी अदीक्षा देवांगन*
*संकलन- विजय सिंह "रवानी"*
=====================
Tags:
कविता