भारतीय राजनीति के नए उभरते नेताओ और युवा वोटरो की सोच
भारत में नेता बनना हमेशा से ही फायदे का सौदा माना जाता है कुर्सी के साथ-साथ पैसा ,पहचान ,और ओहदा भी बढ़ता है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि हर कोई नेता बनना चाहता है उसके लिए हमारा देश ही सबसे सुरक्षित है हमारा देश वह देश है जहां आसानी से कोई भी चुनाव लड़ सकता है कई बार बहुत कम पढ़े लिखे भी देश के मंत्री बने हैं लोकतांत्रिक देश की यही खूबी है कि वह प्रजातंत्र से होकर गुजरता है कुर्सी के लिए जी जान से लग जाते हैं लोग वोटरों को लुभाने के लिए हर हद तक जाते हैं पिछले कुछ वर्षों में नया ट्रेंड आया है वोटरों को लुभाने का नेता बनने की दौड़ में लगे नेता चाहे वह किसी भी समाज से क्यों ना हो अपना कर्तव्य ताक पर रखकर मांस मदिरा का सेवन करा कर वोट लेना भी भारतीय राजनीति का हिस्सा हो चला है मेरी बात को अन्यथा ना लें ना कटास करें सबूत चाहिए तो चुनाव चल रहे हैं चल कर देख लीजिए आपको भी जाएं खा लेना है तो ग्रामीण क्षेत्रों की ओर रुख कीजिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आज के चुनावी दौर में युवाओं को लुभाने का सबसे सस्ता हथकंडा अपनाया हुआ है युवा नेताओं ने मदिरा का
वोटर भी अब मानने लग गए हैं कि उनका रिश्ता सिर्फ चुनाव तक रहता है जितना आनंद लिया जा सके लेना चाहिए भले ही भारतीय युवा पीढ़ी का पतन हो रहा है पर इस बात से बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि आज के नेताओं और वोटरों की सोच बिल्कुल बदल गई ना नेता सेवा भाव से चुनाव लड़ता है और ना ही वोटर अब अपना हिसाब मांगने के लिए क्योंकि रिश्ता मदिरा से रह जाता है सभी दावे खोखले नजर आते हैं मदिरा के आगे सच्चाई से मुंह ना मोड़ो यही आज का सच है ,,
महेश राठौर सोनू
गाँव राजपुर गढ़ी जिला मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश
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