खुशियों को गुणित करें
शेष ना रहे दुखों का अम्बार प्रतिभाग कर भाग करें
एकल ना हो,एकत्व होकर
बढ़ते दूरियों को कम करें
कुटुम्ब के हर अभिलाषा को
कर्मयोग से पुर्ण करें
तनाव ना रहें अपनों के बीच
ऐसा हम सफ़ल प्रयास करें
संबंधों के तारतम्य को
और भी प्रगाढ़ करें
समय के साथ चलकर
सुखद जीवन मार्ग प्रशस्त करें
कालखंड में हुयी गलतियों को
सुधार कर नव प्रभा का आगाज़ करें
@कमलेश कुमार गुप्ता
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कविता