पांडुरंग वामन काणे

आज अनेक भाषाओं के विद्वान, संस्कृत के प्रकांड पंडित, शिक्षाविद, लेखक आलोचक समीक्षक डॉक्टर पांडुरंग वामन काणे की जयंती पर हार्दिक बधाई इस अवसर पर इन को काव्यात्मक श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं

        
            पांडुरंग वामन काणे
    
                   अनेक भाषाओं के मर्मज्ञ विद्वान 
साहित्य के क्षेत्र मे इन का सराहनीय योगदान 
लेखक, आलोचक, समीक्षक विधिवेता और शिक्षाविद महान 
पांडुरंग वामन काणे इस प्रख्यात साहित्यकार का नाम 

       परशुराम गांव (जिला रत्नागिरी महाराष्ट्र) इन का जन्मस्थान 
पिता वामन राव काणे की गुणी संतान 
बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और प्रतिभावान 
कमाल की स्मरणशक्ति इनकी पहचान 
अमरकोश के चार सौ श्लोकों को कंठस्थ किया
अपनी असाधारण प्रतिभा का परिचय दिया

          घर मे पिता जी से शिक्षा पाई 
एस पी जी स्कूल दापोली से शिक्षा पाई 
मैट्रिक परीक्षा मे असाधारण योग्यता दर्शाई 
पूरे जिले मे प्रथम स्थान प्राप्त किया
अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया

     विल्सन कालेज मुंबई से स्नातक की उपाधि पाई 
संस्कृत बिषय मे विशेष प्रदर्शन किया
योग्यता के आधार पर भाऊ दाजी पुरस्कार प्राप्त किया
मुंबई विश्वविद्यालय से कानून स्नातक की उपाधि पाई 
इसी संस्थान से अंग्रेजी और संस्कृत मे स्नातकोतर की उपाधि पाई 
प्रथम स्थान प्राप्त किया,योग्यता के लिए वेदांत पुरस्कार प्राप्त किया
एल एल एम की उपाधि को प्राप्त किया

      मुंबई मे अध्यापन का प्रशिक्षण प्राप्त किया
प्रशिक्षण की परीक्षा मे प्रथम स्थान प्राप्त किया
असाधारण योग्यता के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त किया

        सरकारी विद्यालय मे अध्यापन किया
कुछ अपरिहार्य कारणों से नोकरी से त्यागपत्र दिया
एलफिंसटन स्कूल मुंबई मे संस्कृत के शिक्षक पद पर कार्य किया
संस्कृत बिषय को अपने छात्रों मे लोकप्रिय किया

   एलफिंसटन कालेज मुंबई मे संस्कृत के प्राध्यापक के धद पर कार्य किया
कालेज के विधार्थियों को उच्च और गुणवत्तापूर्ण ज्ञान प्राप्त किया

     मुंबई उच्च न्यायालय मे वकालत का अभ्यास किया
वंचित वर्ग और निर्धन वर्ग को निशुल्क न्याय सुलभ किया
सरकारी विधि महाविद्यालय मे प्रोफेसर का निर्वहन किया

         लेखन कार्य को अधिमान दिया
लेखन और शोध कार्य पर कार्य किया
अपने जीवन को साहित्यिक क्षेत्र मे समर्पित किया
अपने ज्ञानवर्धक लेखों और रचनाओ से पाठकों का ज्ञानवर्धन किया

    जीवन मे 198 प्रकाशनों का योगदान दिया
119 लेखों,44 पुस्तकों,35 ग्रंथों का सृजन किया
पाठक वर्ग को ज्ञान का भंडार प्रदान किया
धर्मशास्त्र के इतिहास का लेखन किया
साहित्य प्रेमियों को धर्म का अनमोल उपहार दिया

     हिस्ट्री आफ पोएटिक्स को रचित किया
कविता के इतिहास का विस्तारपूर्वक वर्णन किया
उत्तर रामचरित, हर्षचरित जैसे अमरग्रंथो का सृजन किया
अपने साहित्यिक के प्रति समर्पित भाव का परिचय दिया

         सामाजिक क्षेत्र मे व्यापक योगदान दिया
सामाजिक कुरीतियों का डटकर प्रतिकार किया
जातपात, छुआछात जैसी बुराईयों पर ध्रहार किया
नारी सशक्तिकरण और उन के अधिकारों के लिए संघर्ष किया
विधवा विवाह, तलाक के अधिकार का समर्थन किया

            शिक्षा क्षेत्र मे सराहनीय योगदान दिया
कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु सहयोग प्रदान दिया
मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति के पद को सुशोभित किया
प्राच्य विधाविदों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मे भारतीय दल का नेतृत्व किया

     सरकार ने इन की सेवाओ का सम्मान किया
इन की स्मृति मे डाक टिकट जारी किया
महामहोपाध्याय की उपाधि से अलंकृत किया
प्रयाग विश्वविद्यालय और पुणे विश्वविद्यालय ने डाक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया
इन के शैक्षणिक और साहित्यिक योगदान के कारण राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया

         जीवन मे पाए अनेक पुरस्कार 
भारत सरकार का सर्वोच्च नागरिक भारत रत्न पुरस्कार 

   हं भारत के सर्वश्रेष्ठ शिक्षाविद और साहित्यकार आप को प्रणाम 
आपकी साहित्य साधना को सलाम 
रचे कई कीर्तिमान और आयाम 
आप के योगदान का सदा याद रखेगा हिन्दुस्तान 

                  अशोक शर्मा वशिष्ठ

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