कब तक होंगी बाधाएंँ ?
निकलो अँधेरों को चीरकर,
कौन रोकेगा उसको जग में,
चलता है जो गिर - गिरकर।।
लोग हंँसेंगे, हँसने दो,
सब कहेंगे, कहने दो,
छोड़ो व्यर्थ की सारी बातें,
जुनून को अंदर रहने दो ।।
मेहनत को साथी बना,
होगा एक दिन वक़्त भी तेरा,
कब तक होगी, तमस की रातें
होगा एक दिन नया सवेरा........
कवि - भास्कर वर्मा
ग्राम - चंदना
8815636058
निकलो अँधेरों को चीरकर,
कौन रोकेगा उसको जग में,
चलता है जो गिर - गिरकर।।
लोग हंँसेंगे, हँसने दो,
सब कहेंगे, कहने दो,
छोड़ो व्यर्थ की सारी बातें,
जुनून को अंदर रहने दो ।।
मेहनत को साथी बना,
होगा एक दिन वक़्त भी तेरा,
कब तक होगी, तमस की रातें
होगा एक दिन नया सवेरा........
कवि - भास्कर वर्मा
ग्राम - चंदना
8815636058
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कविता