नारी शक्ति



  नारी शक्ति
नारी तेरी अनोखी कहानी,
तुझसे ही यह दुनिया हमारी।
तू जननी,बेटी,बहन हमारी,
रचती तू ही यह सृष्टि सारी।
रिश्ते सारे तू बख़ूबी निभाए
तन मन धन सब अपना वारते जाए।
तू यशोदा तू ही देवकी ,
तू ही है इस जग की देवी।
न तू सती न तू अब है सीता,
दुशासनों को जो मिट्टी में मिलाए,
ऐसी तू दुर्गा,काली तू ही नवरूपा।
तू ही आदिशक्ति और भवानी,
सृष्टि की खेवैया पार लगाने वाली।
मीरा के प्रेम में हो तुम,
महादेवी की लिखी पीड़ा में हो तुम,
शिव स्वरूपा में हो तुम,
कल्पना की उड़ान में हो तुम,
हर जगह विद्यमान हो तुम,
फिर क्यों हर किसी की अहिंसा का शिकार हो तुम।
समझो अपना तुम अस्तित्व, 
कर दो सबको धराशाही और चित्त।
उठा लो अब कटार तुम,
महिला शक्ति का आह्वाहन कर,
दे दो चुनौती ललकार सहित तुम।
दे दो चुनौती ललकार सहित तुम।।

      कवयित्री 
          प्रीति कुमारी
          लुधियाना, पंजाब

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