मौसम का मिजाज
मौसम का बदला मिजाज देखिए
जो देखा नहीं तूने कल वह आज देखिए
कुछ इशारा कर रही है चमकती हुई बिजलिया
आज सीने से लिपट कर तो देखिए
मौसम...........
बहती हुई ठंडी हवा तो देखिए
बहकते हुए मेरे कदम तो देखिए
मयखानों से है दोस्तो कर कर आया हूँ
होठों को होठों से छू कर तो देखिए
मौसम..............
शाम का अल्हड़ सा मौसम तो देखिए
कभी तो मेरी बात मान कर तो देखिए
तुम्हारे लिए एक ग़ज़ल लिखी है तुम्हारे राठौर ने
कभी अपने कानों से सुनकर तो देखिए
मौसम ..........
महेश राठौर सोनू
गाँव राजपुर गढ़ी
जिला मुजफ्फरनगर
उत्तर प्रदेश
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कविता