स्वप्न प्रवाह उमड़ना होगा

स्वप्न प्रवाह उमड़ना होगा 
नींद सघन बेशक नयनों में,
स्वप्न प्रवाह उमड़ना होगा ।
बदल सकेंगे दूनियाँ सारी ,
पहले स्वयं सँभलना होगा ।।
दूरी दवा बनेगी प्रियवर ,
चित्र खुशी का गढ़ना होगा ।
रूप अनेकों लिये चुनौती ,
मजबूती से बढ़ना होगा ।।
भीढ़-भड़क से बचना होगा,
साहस नेह पनपना होगा ।
लड़ना होगा डरना होगा ,
मानव धर्म समझना होगा ।।
रीति बहकती है सदियों की ,
राहें - राग बदलना होगा ।
सच का करना सदा सामना ,
धरा मगन नभ नगमा होगा ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ , उत्तर प्रदेश ।

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