आई गवा इलेक्शन परधानी कै।
बाटै शुरू
गोणधराई,
बचा-बचा
ऐहो भाई!
अहैं लेत बुढ़वा सयान,
पंचो मजा जवानी कै।
जवानी कै।।
आई..........
हमहू का काका
ध्यान देहा,
बदलें मा चाहें
जौन लेहा!
मुखिया करिहै साफ करावा,
कचरा तुहु नहानी कै।
नहानी कै।।
आई...........
सिर पै टोपी
तन पै कुर्ता,
लटका है मुखिया
जी उल्टा!
जूता फाटि गवा पहिनेन,
पनहीं ऐहो लखानी कै।
लखानी कै।।
आई............
मुखिया के चमचन
का देखा,
बतिया बड़ी-बड़ी
बस फेंका!
मरै हिरोइन हीरो हम,
लेबै मजा कहानी कै।
कहानी कै।।
आई............
चला-चली रैली
मा का,
मिली पकौड़ी
आैर बताशा!
खाई खूई के भरब पेट,
फिर सोचा जाई पानी कै।
पानी कै।।
आई............
वोटन कै बा
लूटम लूट,
लूटा बोल-बोल
के झूठ!
सही गलत गा चूल्ही मा,
इ आए मजा बेइमानी कै।
बेइमानी कै।।
आई...........
शुरू अहै मींटिग
आै चर्चा,
दाखिल केहा की
नाहीं पर्चा!
नहीं केहा तौ जा करा,
लई के आशीष भवानी कै।
भवानी कै।।
आई..............
सुधांशु पांडे"निराला"
प्रयागराज,उत्तर प्रदेश,भारत.
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कविता