लाचारी मजबूरी तलाक

लाचारी मजबूरी तलाक

सुमन के तलाक के कागज सुमन के हाथ में आ चुके थे अब वह मनमर्जी से अपना जीवन जी सकती थी अब वह आजाद थी  लेकिन मन में बहुत ही भारी निराशा थी और बार-बार आंखों में पानी भरकर अपने जीवन को कोस रही थी
सुमन के निराशा की बात आई है तो तलाक से आजादी कैसी आखिर ऐसी क्या बात थी कि सुमन को 10 साल बाद विपिन से तलाक लेना पड़ा जबकि विपिन को देखकर ऐसा नहीं लगता था कि नौबत यहां तक आ जाएगी की उसे भी तलाक लेना पड़ेगा बहुत ही सरल स्वभाव मिलन अनुसार विपिन कि आखिर क्या मजबूरी थी कि उसे इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा या सुमन की कोई मजबूरी थी कि उसे यह कदम उठाना पड़ा कुछ भी हो दोनों का तलाक हो गया और दोनों अलग-अलग हो गए 10 साल पहले सुमन की शादी विपिन से हुई थी यह शादी एक मनपसंद शादी थी विपिन ने सुमन को और सुमन ने विपिन को अपना जीवन साथी चुना था पर उस वक्त सुमन बहुत ही गंभीर जीवन जी रही थी और वह रिश्तेदारों के यहां पर रहकर काम में हाथ बटाती थी क्योंकि सुमन के पिताजी बहुत  शराब पीते थे और रोज शराब पीकर आते थे गाली गलौज करते थे मारपीट करते थे सुमन घर में बड़ी थी उसके बाद भाई गौरव और एक छोटी बहन सलोनी थी रोज-रोज के गाली गलौज से तंग आकर सुमन रिश्तेदारों के यहां रहने लग गई जिनके यहां सुमन रहती थी वह सुमन के दूर के भाई भाभी लगते थे सब सुविधा संपन्न घर पाकर सुमन भी अपना जीवन हंसी खुशी से मिलकर व्यतीत कर रही थी देखते ही देखते 6,7 साल गुजर गए अब सुमन जवानी की दहलीज पर कदम रख चुके थी अब धीरे-धीरे सुमन के लिए लड़कों की भी तलाश होने लग गई इसी बीच घटना भी घटती रही सुमन अपनी भाभी में बहुत ही रम गई यू कहे की उस रिश्ते तक बात पहुंच गई जिसका कोई नाम नहीं होता लोग बाग भी उड़ती उड़ती बातें करने लग गये 
दोनों के रिश्ते को लेकर सुमन और उसकी भाभी जैसे एक दूसरे में समा चुकी थी तभी किस्मत के मारे विपिन की उनके गांव में एंट्री होती है विपिन सुमन की भाभी का दूर का भाई गांव घूमने के लिए आया उसका नाम विपिन था विपिन सुमन की भाभी का  दूर का रिश्तेदार था और उनका भाई लगता था आखिरकार सुमन की भाभी ने अपना फायदा देखते हुआ बहुत ही जल्दी रिश्ते की बात भी विपिन के साथ पक्की हो गई फायदा यह था कि अगर विपिन के साथ शादी हो गई तो मनमर्जी से कभी भी अपने पास बुला सकती है सीमित संसाधनों से शादी हो गई पर पहले ही दिन से सुमन की भाभी ने विपिन और सुमन को परेशान करना शुरू कर दिया जातक के  अगर विपिन सुमन को लेकर ससुराल जाता था तो  उसे विरोध का सामना करना पड़ता था और कई बार सुमन के बारे में  विपिन के साथ मारपीट भी कर दी कितनी ही बार हमें पिन को छोटी बातों में  फसा फसा कर झूठ बोलकर मारपीट कर घर वापस भेज दिया और सुमन को 3,4,महीने हर साल अपने पास रखती कई बार इसी बात को लेकर विपिन और  सुमन की भाभी में झगड़ा भी हुआ आखिरकार की फिर भी विपिन समझ गया था कि यह रिश्ता बहुत ही मुश्किल रिश्ता है जिसका दुनिया में कोई भी नाम नहीं है और ना ही किसी के आगे इस रिश्ते को बताया जा सकता है काफी जिल्लत झेलने के बाद आखिरकार 10 साल बाद बात यहां तक पहुंची थी सुमन की भाभी ने अपने स्वार्थ के लिए विपिन से रिश्ता तूडवा दिया
जिसे की सुमन ना चाहते हुए भी मजबूरन मंजूर करना पड़ा सुमन आज पूरी तरह से टूट चुकी है और रहती है भगवान ने पहला कसूर तो यह किया कि मुझे गरीब बनाया और दूसरा कसूर किया कि मुझे इनके घर में रहना पड़ा आखिर भगवान इतनी मजबूरी किसी को ना देना की किसी के एहसानों के बदले में अपना जीवन और जीवन साथी ही छोड़ना पड़े,,

 महेश राठौर सोनू 
गांव राजपुर गढ़ी जिला मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश

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