सार्थक मानवी ने पतंग बनाया
आसमान में उसे फिर उड़ाया
उड़ा जब आसमान की ओर
दोनों बच्चे मचाने लग गए शोर
गोंद और पन्नी के संग बनाया
सार्थक मानवी ने पतंग बनाया
अपने हाथों से दोनों ने सजाया*
एक लंबा सा धागा उसमें लगाया*
दोनों ने उसका हर अंग बनाया*
सार्थक मानवी ने पतंग बनाया*
पतंग ने माहौल उमंग का बनाया*
खुशी से दोनों ने हाथ हिलाया*
सार्थक मानवी ने पतंग बनाया*
आसमान में उसे फिर उड़ाया,,*
*महेश राठौर सोनू*
*गाँव राजपुर गढ़ी*
*जिला मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश*
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बाल कविता