सर्द हवाओं का झोंका

सर्द हवाओं का झोंका 


आ गई है शीत ऋतु 
छा गया है कोहरा 
हवा चल रही धीमी से,
सर्द हवाओं का झोंका ।।

सज रही फूलों से क्यारी 
है रंग बिरंगे ये प्यारे प्यारे 
खुशबू से भरा प्रतीत होता
सर्द हवाओं का झोंका ।।

कहती है जरा धीरे चल,
ओस की बूंदें टपक रही 
धूप भी नहीं रही निकल 
है सर्द हवाओं का झोंका।।

मोसम भी अब गया बदल 
अजीब सी ठिठुरन लगती है
जब भी शरीर पर पड़ता है
ये सर्द हवाओं का झोंका ।।

प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
मध्य प्रदेश ग्वालियर

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