विष सम वचन श्रवण करत बीता दिन,
जीवन यह अनमोल,
मधुर मधुर कछु बोल!
ईर्ष्या, द्वेष भावना देखी, मन की कटुता,
जहर दिया क्यों घोल,
मन की खिड़की खोल!
लाभ हानि, सुख दुःख है छाया, छोड़ो,
पढ़ो तनिक भूगोल,
जीवन है अनमोल!
स्वार्थ परायण होकर, सुख की प्राप्ति नहीं,
इसमें होत है झोल,
खुद को ज़रा टटोल!
#पद्म मुख पंडा
ग्राम महा पल्ली
Tags:
कविता