वैचारिक दृष्टिकोण

      वैचारिक दृष्टिकोण
मन में स्वप्नों का दीप लिए 
कर्म पथ पर चलता चल। 
आशावादी दृष्टिकोण लिए 
कर्तव्यों का निर्वहन करता चल ।
है तू प्रेरणा की ज्योति,
कर्मठता और विश्वसनीयता की प्रतिमूर्ति ।
मन में स्वप्नों का दीप लिए 
कर्म पथ पर चलता चल ।
तू हीं बनेगा विजेता,
तू ठान ले ,तू मान ले 
संकल्प तू बाँध ले। 
दृढ़ इच्छाशक्ति के आयामों से, 
पहल कर विस्तार दे।
बाधाओं को चीर कर 
स्थापित कर नवल कीर्तिमान ।
स्तम्भ है ,तू  समाज का 
विस्थापितों का कर्णधार तू ,
पुनः अब संचार भर ।
क्षमताओं का पूर्ण सोहन कर;
विप्लव गान बहुत हुआ !
अब नवनिर्माण की नींव रख ।
मन में स्वप्नों का दीप लिए 
कर्म पथ पर चलता चल ।
आतताइयों के उत्पात को ,
अब तुझे कुचलना है ।
क्रांति की अलख जगा ,
सरोकार का संवाद कर ।
मन में स्वप्नों का दीप लिए 
कर्म पथ पर चलता चल ।
विडंबनाओं से ना हार तू 
अडिग ,अटल पथ प्रशस्त कर ।
ऊर्जस्विता की अनुपम छटा से 
नवयुग का  निर्माण कर ।
मन में स्वप्नों का दीप लिए 
कर्म पथ पर चलता चल ।

🖋कमलेश निराला

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