तेरी महिमा से चलती है, यह दुनिया,
हे मेरे गणपति गजानन लंबोदर देवा!
महिमा बरसाते और कृपा करते रहना,
तुमको खिलाएंगे लड्डू, मोदक, मेवा।
हे मेरे गणपति………….
सारे भक्तों का लगता है यही विचार,
शिवनंदन तेरी महिमा होती अपरंपार।
तेरे आने से, मौसम बदल जाता प्रभु,
कर लीजिए स्वीकार भक्तों की सेवा।
हे मेरे गणपति………….
तेरी महिमा से, बन जाते बिगड़े काम
तुमको सदा, तीनों लोक करते प्रणाम,
तेरी पूजा अर्चना में, कमी नहीं होगी,
करो जलपान गणपति, खाओ कलेवा।
हे मेरे गणपति………….
मौसम बेईमान हुआ, सर्दी सता रही है,
सूरज दादा पर अपना हक जता रही है।
भक्तों की विनती पर करो विचार देवा,
ठुकराना नहीं तुम, हम भक्तों की सेवा।
हे मेरे गणपति……………
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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गीत