"अपनी हिंदी बहुत महान "
अपनी हिंदी बहुत उदार।
इसमें है भारत का सार।।
लोकबोलियों के शब्दों से।
हिंदी को है मिलता प्यार।।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण।
हाथों-हाथ लिया संसार।।
भारत को स्वाधीन बनाया।
हम पर इसका चढ़ा उधार।।
देव -दनुज दोनों को प्यारा।
इससे है समृद्ध बाजार।।
स्वर सांस है अक्षय व्यंजन।
लिपि का देव गढ़े आकार।।
संतों भक्तों तपस्वियों की।
वाणी का इसमें उदगार।।
सभी विधाओं से समृद्ध।
अनुपम है साहित्याधार।।
इतनी सरल तरल है हिंदी।
हर घर-आंगन में गुलजार।।
सब अपनाओ शब्द बढ़ाओ।
प्यार करो मत करो प्रहार।।
शीघ्र राष्ट्रभाषा बन जाए।
जन-गण-मन की यही पुकार।।......."अनंग "
Tags:
कविता