आँधियों को इरादे उड़ा दें


  आँधियों को इरादे उड़ा दें 
आँधियों को इरादे उड़ा दें ,
वक्त - तूफान बेशक मिटेगा ।
शक्ति मानव-धर्म की अलौकिक,
मंत्र एकीकरण ही सजेगा ।।
धैर्य-मूरत दिखे जब सलौनी ।
चेतना जग सृजक क्रान्ति मौनी।।
देश - काल-ए जगे जब युवा है ।
रीतियों का ही परिचय दवा है ।।
एक चादर दया - लाज औढे ,
सादगी का ही परचम मिलेगा ।
आँधियों को इरादे उड़ादें ,
वक्त- तूफान बेशक मिटेगा ।।
शान-शौकत सुखद दृश्य प्यारे ।
राह-काँटे ही बनते सितारे ।।
संस्कृति-निज सजे सभ्यता में ।
चांद - सूरज जड़ें भव्यता में ।।
वन्दगी भी शराफत निराली ,
प्रीति-पोषण ही घर-घर खिलेगा।।
आँधियों को इरादे उड़ादें ,
वक्त- तूफान बेशक मिटेगा ।।
देश मेरे की माटी भली है ।
देवताओं को राहत मिली है ।।
जन्म पाके ही तन-मन सफल है।
देश पर हर शहादत अटल है ।।
रंग -गौरव "अनुज-गूँज" गूँजे ,
स्वप्न पावन सुहावन रहेगा ।
आँधियों को इरादे उड़ादें ,
वक्त- तूफान बेशक मिटेगा ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ , उत्तर प्रदेश ।

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