उम्र नही घटती
बेशक झुर्रियां है चेहरे पर ,
पर उनकी हंसी लाजवाब है,
साल दर साल निकल रहे ,
किसी समय की रेत की तरह,
उनकी मोहब्बत बेमिसाल है !
सुंदरता की मूर्ति जैसे कोई
पवित्र रूह क़ैद है एक शरीर मैं
घट रहा सब कुछ धीरे धीरे से ,
हर लम्हा बिताया जो उनके साथ है।
हम सीख रहे है हुनर मोहब्बत का
जो बीत रहा हर पल उनके साथ
इतनी सी बात सीखी हमने बस
उनके चेहरे के नूर को देखकर ,
की घटती है जिंदगी बेसक प्यार में
प्यार करने वालों की उम्र नही घटती ।।
प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
मध्य प्रदेश ग्वालियर
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कविता