हमें रास्तों से हटाकर तो देखो।
मुझे भी जरा आजमाकर तो देखो।।
कभी ना मिटेगा लगा दाग दामन।
लगे खून छींटे धुलाकर तो देखो।।
दुआ बेसहारों का लेकर चला हूं।
मेरी राह कांटे बिछाकर तो देखो।।
बड़े ही जतन से घरौंदे बनाया।
जला दूंगा तुमको जलाकर तो देखो।।
कहीं बेजुबानों को मरने ना दूंगा।
मेरे हौसलों को डिगाकर तो देखो।।
तुम्हें चैन की नींद आने लगेगी।
जरा तुम पसीना बहाकर तो देखो।।
मोहब्बत मिलेगा तुम्हें भी जहां से।
जरा आंसुओं में नहा कर तो देखो।।
मिलेगी ना खुशियां भटकते रहोगे।
किसी को गले से लगा कर तो देखो।।......."अनंग"
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कविता