तेवरी आन्दोलन का मुख्य केंद्र अलीगढ़

तेवरी आन्दोलन का मुख्य केंद्र अलीगढ़ 

+ डॉ. परमलाल गुप्त 
**********
यद्यपि अनेक नये कवि तेवरी लिख रहे हैं तथापि इसके आन्दोलन का केंद्र अलीगढ़ है। अलीगढ़ से ‘हिन्दी-ग़ज़ल’ और ‘तेवरी-पक्ष’ दो पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं। इसके अलावा इधर कई तेवरी-संग्रह प्रकाशित हुए हैं, यथा-‘अभी जुबां कटी नहीं [1983 ई.] कबीर जिन्दा है’ [1983 ई.], ‘इतिहास घायल है’ [1985 ई.] ‘एक प्रहारः लगातार’ आदि। ‘तेवरी’ लिखने वाले कवियों में रमेशराज, अरुण लहरी, अजय अंचल, योगेन्द्र शर्मा, सुरेश त्रस्त, ज्ञानेन्द्र साज, राजेश मेहरोत्रा, गिरिमोहन गुरु, डाॅ. देवराज, विक्रम सोनी, गजेन्द्र बेबस, दर्शन बेजार, विजयपाल सिंह, अनिल कुमार, गिरीश गौरव, बिन्देश्वर प्रसाद गुप्त, राजेन्द्र सोनी आदि प्रमुख हैं। इन कवियों ने ‘ग़ज़ल’ के कोमल स्वरूप को समाप्त करके उसे अधिक जुझारू और आक्रोशमय बनाया है।

*|| तेवरी में संघर्षमय चेतना ||*  
+ डॉ. परमलाल गुप्त 
दर्शन बेजार की ये पक्तियाँ देखिए-
अब कलम तलवार होने दीजिए, दर्द को अंगार होने दीजिए। 
आदमीयत के लिए जो लड़ रहा, मत उसे बेज़ार होने दीजिए। 
इसी प्रकार-
शब्द अब होंगे दुधारी दोस्तो, जुल्म से है जंग जारी दोस्तो। 
सत्य को सम्मान देता कौन है? झूठ का सिक्का है भारी दोस्तो। 
सभ्यताओं के सजे बाजार में, बन गयी व्यापार नारी दोस्तो। 
लूट में मशगूल है हर रहनुमा, लुट रही जनता विचारी दोस्तो।। [इतिहास घायल है, पृष्ठ 19]
 इन तेवरियों में पहली बात तो निराशा अथवा पलायन के स्थान पर संघर्षधर्मी चेतना और सकारात्मक या आशावादी दृष्टिकोण है ।
तेवरीकार दुष्यंत कुमार के इस दृष्टिकोण की कायल नहीं हैं-
यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है,
चलो यहाँ से चले उम्रभर के लिए। 
 ये तो सीधे व्यवस्था को चुनौती देते हैं और कविता को व्यवस्था-परिवर्तन के हथियार के रूप में इस्तेमाल के पक्षधर हैं-
शब्दों में बारूद उगाना सीख लिया,
कविता को हथियार बनाना सीख लिया। [रमेशराज, इतिहास घायल है, पृष्ठ 44]
तेवरीकार प्रेमचन्द के ‘होरी’ और ‘गोबर’ के द्वारा सामंती एवं महाजनी शोषण को सहने की धारणा से भी ये सहमत नहीं हैं। रमेशराज ने ‘अभी जुबां कटी नहीं’ में इसी भावार्थ से सम्बधित ५० तेवर की  तेवरी लिखी है। समाज-व्यवस्था के स्वरूप के प्रति इनका दृष्टिकोण स्पष्ट नहीं है, परन्तु ये सामाजिक न्याय के पक्षधर हैं और ऐसी हर परम्परा को तोड़कर विद्रोह करना चाहते हैं, जो आम आदमी के शोषण और सामाजिक अन्याय को प्रश्रय देती है।

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post

Contact Form