चुनाव से पहले और चुनाव के बाद , प्रत्याशियों के हाले दिल बेहाल

चुनाव से पहले और चुनाव के बाद । प्रत्याशियों के हाले दिल बेहाल ।

शर्मा जी ने घर के बाहर कदम बढ़ाया ही था कि पीछे से कोरोना देवी यानि धर्मपत्नी ने शर्मा जी का बना बनाया मूंड बिगाड़ कर रख दिया । ऐसी पटकनी दी जैसे चुनाव के बाद प्रत्याशी वोटर को देता है । चुनाव से पहले प्रत्याशी का त्याग देखने लायक़ होता है । और चुनाव के बाद वोटर का त्याग । क्या अजीब खेल है कुदरत का लोग दूसरों को मतलबी खुदगर्ज तक ठहराने से नहीं चूकते । लेकिन जब अपने पर आती है तो बड़ी शालीनता के साथ कहते हैं । ऐसे में तो सब कुछ चलता है ।भले ही फ्री की शराब पी पी कर लोगों के फेफड़े ही खराब क्यों न हो जाए ।वह सब सही है । लेकिन वह आदमी सबसे बुरा है जो इनके खिलाफ दो शब्द गलती से बाहर निकाल देता है ।
ऐसा ही वाकया शर्मा जी के साथ रोज घर में होता था । शर्मा जी को कुछ भी बोलना मना था । मस्जिद में रहना है तो मुलला जी को सहना है । ऐसी ही परिस्थितियां शर्मा जी के साथ भी घटित हो रही थी । नजरबंद जिन्दगी गुजार रहे थे शर्मा जी । किसी से मिलने जुलने तक की भी मनाही थी ।
लेकिन शर्मा जी भी कम चालाक नहीं थे ।वह भी घर से बाहर निकलने के बाहने ढूंढते रहते ।
शर्मा जी वर्मा जी से मिलने के लिए आखिर बाहर निकल ही पड़े लेकिन हारे हुए प्रत्याशी की तरह क्योंकि शर्मा जी की घर में एक भी न चल पा रही थी ।
गिरते पड़ते किसी तरह शर्मा जी वर्मा के पास पहुंच ही गये । लेकिन पता चला कि उनकी धर्मपत्नी ने भी वर्मा जी को कोरोना मरीज की तरह कवारंटाईन कर रखा था । शर्मा को आते देख पहले तो मिसेज वर्मा थोड़ा हिचकिचाईं जब शर्मा जी ने सारी बात सिरे से समझाई तो उनकी भी समझ में आया और वर्मा जी से मिलवा दिया ।
बातचीत चल पड़ी इतने में चौखे लाल जी भी अपना चुनाव प्रचार करते हुए वर्मा जी के घर आ धमके ।
चर्चा चल पड़ी चुनाव प्रचार पर प्रशासन लगातार शिकंजा कस रहा था । लेकिन चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशियों को वोटर्स की मांग भी पूरी करनी थी ।बिना दारू के चुनाव का मजा ही नहीं आता ।
शर्मा जी हंसकर कहने -
 वोटर और प्रत्याशी दोनों ही देने लगे इक दूजे को मात ।
कहते हैं भ्रष्टाचार रुकता नहीं जब  मिल सब बांट खायें साथ ।।
बिना दारू मुर्गे के वोट नहीं चाहें प्रत्याशी की उलटी हो खाट ।
उसके बाद तो प्रत्याशी आपका हक भी लेगा आसानी से चाट ।।
वर्मा जी जो धर्मपत्नी के आदेश पर कवारंटाइन हुए पड़े थे उनके भी शर्मा जी का शेर सुनते ही पर निकलने शुरू हो गये ।बोल उठे
हाले दिल क्या कहूं हुआ आज मैं बड़ा बेहाल ।
चुनाव के वक्त देखिए श्रीमती जी का राज ।।
गर चुनाव जीत गयी तो होंगे सबके हाल बेहाल ।
जेब का पैसा कर कर देगी श्रीमती जी हमको कंगाल ।‌।
चौखे लाल जी कहने लगे यार चुनाव मैं लड़ रहा हूं मज़ाक आपको सूझ रही है । चुनाव से पहले ही इतना खर्च हो चुका है पूरा करते करते पांच साल लग जाएंगे । फिर आगे की भी तैयारी करनी है तुम पत्नी नाम के भूत से मुझे मत डराओ ।
जैसे तैसे करके चुनाव प्रचार के लिए निकला हूं पहले तो खर्चे को लेकर घर में ही बहुत बड़ी तकरार हो गई थी । उसके बाद मैं यह सोच कर निकला था शर्मा जी और वर्मा जी को साथ लेकर चलूंगा । लेकिन यहां तो दोनों के ही हाल बेहाल है तो तुम दोनों मुझे चुनाव कैसे लड़वाओगे ।
शर्मा जी हंस कर कहने लगे तुम्हें हर पंच वर्षीय योजना में चुनाव लडने का शौक है ।शौक से लड़ो हम तुम्हें मना कब कर रहे हैं । जहां तक हमारी अपनी बात है हम तो अपने दोस्त के साथ हैं ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती ।
झूठे सपने सजाने वालों से नदियां कभी पार नहीं होती ।।
गर हौसला बुलंद हैं तुम्हारा हर मंजिल पार कर लोगे तुम ।
थक हार कर बैठने वाले से कठिनाई कभी दूर नहीं होती ।।
वर्मा जी ने दोनों का धन्यवाद किया और दोनों को ही साथ लेकर चुनाव अभियान पर चल दिए ।
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कण्डेय

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