पितृपक्ष

मंच को नमन

विषय - पितृ पक्ष

पितृ पक्ष के शुभ काल में हम करते पूर्वजों का ध्यान
पर रखते नहीं प्रत्यक्ष मात-पिता का ध्यान

केवल पानी देना ही सम्मान नहीं होता
काग कूकर के खिलाने से दान नहीं होता
जो लोग करते हैं सम्मान अपने बुजुर्गों का
उनका जीवन में कभी अपमान नहीं होता

पूर्वजों के वचनों का यदि रखोगे तुम मान
सफल तुम्हारा हो जाएगा सच कहता हूं दान

भूखे का जो भरते पेट यहां उनका पतन नहीं होता
बिन निष्ठा भाव के कभी पूर्ण जतन नहीं होता
जो नर करते हैं अपनी संस्कृति का  संरक्षण
उनका किया हुआ सफल प्रत्येक  हवन होता

निस्वार्थ करते सेवा जो उनका ही होता गुणगान
वही पाते हैं जीवन में आयु विद्या यश ज्ञान

पूर्वजों के तप त्याग से महक रहा है उद्यान
दुनियां में कर्मठ का ही होता है उत्थान
लक्ष्य उन्हीं लोगों के कदम चूमता है माणिक
जो सही समय पर करते हैं अपना अनुसंधान

लगन शील के ही होते हैं पूर्ण यहां अभियान
मात-पिता आशीर्वाद से मिलती है पहचान
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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