भावभीनी श्रद्धांजलि
स्मित भाई
स्मित भाई
लौटा दे खुदा मेरे कवि मित्र को जल्दी,
देख ले नही तो मैं अपनी पे आऊँगा,,
हो जाएगा खुदा तेरे जहां में अंधेरा,
मैं तेरा रवि लेकर कहीं डूब जाऊँगा,,
बहुत मनमानी करता है तू अपनी,
मैं जिद्द पे आया तो बहुत रुलाऊंगा,
साहित्य जगत से ही क्या दुश्मनी है,
मैं कब तक अनमोल हीरे गवाऊँगा,
माँ-बाप,भाई परिवार को समझा लूँगा,
बोल छोटी बहनों को कैसे समझाऊंगा,
नही बनती थी मगर दोस्त तो थे हम,
अब कैसे मैं उसको आँख दिखाऊंगा,
दोस्तों के साथ से ही चमक होती थी,
अब बगैर दोस्त के सचिन क्या गाऊँगा,
© सचिन गोयल
सोनीपत हरियाणा
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सचिन गोयल