चल पड़े हैं अब कदम अब रुकना नहीं है
हौसले मजबूत है हमारे रुकना नहीं है
तूफानों का काम तो है सिर्फ आना
और हमारी फितरत है हमें झुकना नहीं है
चल पड़े हैं अब कदम अब रुकना नहीं है
सामने देख ऊंची चट्टानें घबराना नहीं है
डटकर मुकाबला करना है डरना नही है
जिंदगी तो वैसे भी एक दिन चली जाती है
आज ही चली जाए तो कोई गम नहीं है
चल पड़े हैं अब कदम अब रुकना नहीं है,,
महेश राठोर सोनू
गाँव राजपुर गढ़ी
जिला मु 0नगर
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कविता