पहले मैं अपने गांव की बात ही सुनाऊंगा आजकल मेरे गाँव में बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया है और हौसले भी इतने बढ़ गए हैं की सीधा हमला करने लग गए हैं जी हां सच बात बता रहा हूं
मेरे गांव राजपुर छाजपुर गढ़ी में एक राष्ट्रीय समस्या ने जन्म ले लिया है इन दिनों जहां देश में किसान आंदोलन कोरोना वैक्सीन की चर्चा जोरों पर है वहीं हमारे गांव में सबसे अलग चर्चा जोरों पर है वह है बंदरों की आजकल गांव में 30 ,35 बंदरों का गाँव मेंआतंक है और आतंक ऐसा है कि कोई भी घर की चीज उठाकर ले जाते हैं किसी भी चीज को उठाने से कोई गुरेज नहीं है
यहाँ तक की कपडे भी सलवार दूसरों के घरों पर मिलती है कुर्ती तीसरों के मेरी बात हंसने तक सीमित नहीं रहने चाहिए यदि आप इन चीजों को छुड़ाने की कोशिश करोगे तो आपको भी घायल कर जाएंगे कितने ही लोगों को घायल किए हुए हैं कुल मिलाकर आज की तारीख में बहुत ही भयानक आतंक उतरा हुआ है और एक प्रकार से यह भी कह सकते हो कि आम आदमी की आजादी से खत्म हो गई है बंदरों की वजह से और यह मसला मुझे लगता है कि अब मेरे गांव का नहीं रहा यह मसला और भी के गांवो का हो गया और कई गांव में इनका पूरा आतंक है
अब आते हैं मैन वजह पर मैं तो यह सोचता हूं कि मेरे गांव की सबसे बड़ी वजह बंदर है और किसी राजनीतिक पार्टी को वोट देनी चाहिए जो गांव को बंदरों से मुक्त कराएं यह भी एक राष्ट्रीय समस्या घोषित होनी चाहिए और पार्टियों के शपथ पत्र में यह बात मुख्य रूप से शामिल की जानी चाहिए ताकि जन-जन आजादी महसूस कर सकें
साहित्यकार महेश राठोर सोनू की कलम से
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व्यंग्य