मेरे पापा
मेरे पापा जब घर आए
सबके लिए कुछ ना कुछ लाए
थैला खाली हो गया बांटते बांटते
बस अपने लिए कुछ भी ना लाए
मां की सुनहरी साड़ी लाए
बहन के सूट भरी कढ़ाई के लाए
सब भाइयों के लिए पेंट कमीज लाए
थैला खाली हो गया बांटते बांटते
बस अपने लिए कुछ भी ना लाए
सबके ख्वाहिशें पूरी कर कर लाए
सबके चेहरे पर मुस्कान लाएं
खुश हो गया पापा सबको खुश देखकर
सबके लिए कुछ ना कुछ जरूर लाएं
थैला खाली हो गया बांटते बांटते
बस अपने लिए कुछ ना लाए,,
महेश राठौर सोनू
गाँव राजपुर गढ़ी
जिला मु ०नगर
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कविता