इस बार की होली - "संयम की होली"

व्यंग्य : इस बार की होली -  "संयम की होली"

ह जी ! इस समय होली कैसे होगी ? होली का पर्व किस तरीके से मनाएंगे ? धर्म पत्नी ने चाय पीते हुए पूछी । पूछना स्वाभाविक भी है देश मे भारतीय सँस्कृति को जीवंत प्रवाहमान बनाये रखने की प्रमुख भूमिका है तो "मातृ शक्ति" की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। सोच विचार कर मुस्कुराते हुए धीमे स्वर में आँख बंद कर दूरदर्शी भावना के साथ मैंने कहा - सामने यदि मानवीय जीवन मे उत्साह उमंग का पर्व रंगोत्सव है तो ; सामने वैश्विक महामारी भी खड़ी है।मानव जगत को जीत भी हासिल करनी है "कोरोना" पर, तो पुरातन पर्व "रंगोत्सव" जो प्रकृति के साथ मिलकर जीवन मे ऊर्जा का संचार करती है ; उसे भी भारतीय आँचल में समेटना है।प्रह्लाद ने" ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का प्रण लेकर शान्त अविचल आस्था से हिरण्यकश्यप पर जीत पायी थी ।आज हम पर भी राष्ट्रीय वर्तमान परिप्रेक्ष्य में होली के अवसर पर कोरोना पर जीत दर्ज करने की बारी है।अति उत्साह , अति उमंग में साहस लगाने के बजाय सँस्कृति को सँरक्षित रखते हुए अनुशासन को शिरोधार्य कर  एक सीमितता की वृत्त बनानी होगी जिसकी रेखा खींचने की पेंसिल हमारी हाथ में है।मानवीय जीवन में खुशियाँ अनगिनत तरीके से बाँटी सहेजी व बटोरी जा सकती है ,लेकिन वर्तमान परिदृश्य में वर्तमान समय का निर्माण करना होगा।सरकार व प्रशासन के अथक प्रयासों के वावजूद नियंत्रण नही कोरोना पर तो आत्मचिंतन का विषय है,  की कोरोना जैसे सूक्ष्म जीव अनियंत्रित कैसे हो रही है।उसके जिम्मेदार कहीं हम भी तो नही ?समय रहते विचार आवश्यक है । भीड़  बढ़ायी जा रही है कार्यक्रमों पर लेकिन किसके लिए व उसका परिणाम - - -? जीवन में सुअवसरों की कमी नही किन्तु , सुअवसर का आनंद लेने हेतु जीवन का रहना आवश्यक हो गया है।यह बात हल्की हो सकती है लेकिन ; जो इस विपदा काल के दिनों काल - कवलित हो गए उनके परिवारों के दुःखों को नजरअंदाज भी नही किया जा सकता। बेहतरीन तरीके से आपदा पर नियंत्रण रखने हेतु सरकार प्रशासन की भूमिका बेहतरीन रही है । दिशा निर्देश समय पूर्व जारी किया गया अब अच्छा है कि हम अमल करें व इसके लिए की जनता की ओर से उन्हें अबीर गुलाल रंगों से बधाई भी दें। पर्यावरण के टेसू के फूलों से कहना पड़ेगा कि निराश मत हो ! तुम्हारी उपयोगिता व महत्ता सदा रहेगी।इस बार न सही अच्छे दिनों की आगाज जल्द होगी व होली मिलन समारोह भी होगी तब तक हम संयम रहें व पर्यावरण को सरंक्षित रखें। अति उत्साह व पर्व की मादकता से गली मुहल्लों में थिरकते बहकते कदमों को भी  संयम रखना होगा इस बार की होली में ।जो होली पर्व को यादगार बनाने में कोई कमी नही छोड़ते एवं हो हल्ला कर गली मुहल्लों में याद दिलाते हैं कि होली हमारे लिए है। टूटे टिन के डिब्बे को नगाड़ा समझ जोर - जोर से आवाज करने वाले बच्चों को भी अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना होगा।वे बच्चे ही हैं , जो देश के अनैतिक तत्वों को आने वाले दिनों में नगाड़े की तरह बजाने की क्षमता व साहस रखते हैं।ननन्द - भौजाई ;  देवर- देवरानी जो भाव विभोर हो ,हँसी ठिठौली करते हुए बच्चों को नाश्ता पानी करवाकर  होली खेलने प्रोत्साहित करते थे  व घुले हुए रंगों से होली खेल फोटो खिंचवाते थे ; उनको सूखे रंगों से संतुष्ट होना होगा।अब की बार बढ़ती हुई तेल की कीमतों को नजरअंदाज करते हुए घर मे बने नाश्ता को खाते, कोरोना के भय आतंक से घर में बैठे , समाचार देख बन्द कमरे में कोरोना एवं देश , समाज की विषमताओं को कोसते हुए ,देश की राजनीतिक सामाजिक, सँस्कृति पर चर्चा श्रीमती साथ समीक्षा करते हुए  ; समय बिताते हुए होली संयम पूर्वक मनानी होगी उसमें  सहधर्मिणी को भी लगेगा कि ; वह भी देश दुनिया की वर्तमान गतिविधियों की अच्छी विश्लेषक हैं।बचा संचार माध्यम ; वाट्सअप फेसबुक से भी घर बैठे दूसरों की नाश्ता , उपयोग की गयी रंगो को देखकर समीक्षा करते समय बीतेगी।दिखावे की प्रकृति भी  सुखदायी है ; जो स्वयं की गलती से स्वयं के पैर में लगे काँटो को निकाल कर शहीद की दर्जा पाने की चाहत रखते हैं । अचानक देखा चाय खत्म हो चुका थी, उन्होंने गर्व से मुस्कुराते हुए ;  हाथ मे मास्क एवं थैला थमाते हुए खूब सारे रंग लाने को कहा। कहने का अंदाज ऐसा था मानो कोरोना से क्या डरना।मै भी हँसते हुए कहा होली इस बार संयम से मनानी होगी।
              -  विजय पंडा
     Vijaypanda890@gmail. com

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