फागुन मे सजना आएँगे अँगना पूछे है कँगना,
दिल में मेरे शोर है मन भागे तेरी ओर है
रंग बिरंगे इन रंगो मे तेरी ही तस्वीर है आँखों में न निंदिया है छेड़े मुझको बिंदिया
मेरे ओ सांवरिया चारों तरफ बहार है तेरा इंतजार है,
ऊँगली पर दिन गिनती हूँ जब प्रीत क़ी ग़ुलाल उड़ाऊंगी तेरे रंग में रंग जाऊंगी
न तोड़ना अपना वादा मै जीते जी मर जाऊंगी धड़कनो से अपनी पूछ ले क्या झूठा मेरा प्यार है
तेरे नाम से क़ायम मेरी खुशियों का संसार है लौट कर फिर न जाना,
गुजरे न यूँ ये चाहत का जमाना मै तेरी ही रहूँगी चाहे ले आजमाना
बोले मेरी पायल किसके लिए तू पागल
ये कजरा मेरा पूछे ये गजरा मेरा पूछे
तेरी बाहों का हार सजना कब मुझको महकाएगा इन हाथों पर मेरे मेहंदी तू कब सजाएगा घड़िया तेरे आने क़ी धक धक दिल को धड़काती है
बेसुध मुझे बनाती है
पूछे मेरा झुमका
फागुन में सजना आएँगे अँगना ....नेहा"निखिला ".
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कविता