शिक्षा का महत्त्व

शिक्षा का महत्त्व


” तमसो मा ज्योतिर्गमय” अर्थात् अधंकार से मुझे प्रकाश की ओर ले जाओ—यह प्रार्थना भारतीय संस्कृति का मूल स्तम्भ है। प्रकाश में व्यक्ति को सब कुछ दिखाई देता है, अन्धकार में नहीं। प्रकाश से यहाँ तात्पर्य ज्ञान से है। ज्ञान से व्यक्ति का अंधकार नष्ट होता है। उसका वर्तमान और भावी जीवन जीने योग्य बनता है। उसकी कार्य क्षमता बढ़ती है जो उसके जीवन को प्रगति पथ पर ले जाती है।
शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाउली प्रक्रिया है। मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखता रहता है ,यह सभी शिक्षा के फलस्वरूप है। शिक्षा ज्ञान के हस्तांतरण की प्रक्रिया है ।
शिक्षा को हम विद्या भी कह सकते हैं ।विद्या का वह भाग जो ज्ञात हो जाता है वह ज्ञान है।विद्या या शिक्षा के बारे में कहा गया है कि “विद्या वह है जो अहंकार से मुक्त कर दे”।  प्रसिद्ध पाश्चात्य दार्शनिक सुकरात ने कहा है कि “शिक्षा वह है जो मनुष्य की त्रुटियों को दूर करती है और उसके लिए सत्य का मार्ग तलाशती है”।
शिक्षा की व्यवस्था कराना राज्य और केंद्र सरकार दोनों का महत्वपूर्ण कार्य है। स्वामी विवेकानंद जी ने भी कहा है “शिक्षा ही व्यक्ति की शक्तियों को जाग्रत करती है
शिक्षा व्यक्ति के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक ,शारीरिक ,बौद्धिक व मानवीय गुणों का विकास करती है।
शिक्षा के सिर्फ फायदे ही फायदे है. पढाई से ज्ञान मिलता है, जो इन्सान को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है. शिक्षा का महत्व युगों युगों से चला आ रहा है. पहले लोग किसी महान महापुरुष के पास जाकर शिक्षा लिया करते थे, उनके आश्रम में रहकर हर प्रकार की शिक्षा लेते थे. फिर गुरुकुल भी बने, जहाँ वेद पूरण का ज्ञान दिया जाने लगा. अंग्रेजों के आने के पहले ऐसे ही शिक्षा दी जाती थी, उनके आने के बाद शिक्षा का रूप बदल गया. शिक्षा के लिए स्कूल बनाए गए, जहाँ सिर्फ पढाई पर ध्यान दिया जाता था, दूसरी बातों का ज्ञान यहाँ नहीं मिलता था. शिक्षा के क्षेत्र में और तरक्की हुई, और सरकारी स्कूल के अलावा प्राइवेट स्कूल भी बनने लगे.  
अगर आपसे पुछा जाये आपसे क ख ग आता है, तो आप कहेंगे हां, इसका क्या मतलब है आप शिक्षित है या साक्षर? शिक्षित होना और साक्षर होना दोनों में अंतर होता है. साक्षरता का मतलब होता है कि आप पढ़ लिख सकते है. शिक्षा का मतलब है कि आप पढ़ लिख सकते हैं और इस शिक्षा का उपयोग आप अपने फायदे के लिए भी कर सकते है. अगर आप पढ़ना लिखना जानते है, लेकिन ये न समझे कि कैसे उपयोग करे, कैसे इसका उपयोग कर जीवन में आगे बढ़ें तो आपके साक्षर होने का क्या फायदा. साक्षर होना बस काफी नहीं है, आपको शिक्षित होना चाहिए. आजकल हर देश में वहां के नागरिक को साक्षर बनाने की बात पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन देश को आगे बढ़ाने के लिए नागरिक को साक्षर होने साथ शिक्षित भी होना चाहिए. देश को ऐसे समूह की जरूरत नहीं है, जो सिर्फ पढ़ा लिखा हो, जबकि देश को ऐसे लोग चाहिए जो शिक्षा के बल पर जीवन में आगे बढे. आजकल पढ़ा लिखा तो रोबोट भी होता है, तो इसका क्या मतलब वो शिक्षित है? रोबोट अपनी पढाई का उपयोग खुद नहीं कर सकता, जितना उससे बोला जायेगा वो उतना ही करेगा. हमें रोबोट नहीं बनना

हमारे जीवन में शिक्षा से अधिक उपयोगी कुछ भी नहीं है। शिक्षा एक प्रक्रिया है, जो जन्म लेते ही शुरू हो जाती है। हमारा पूरा जीवन इस प्रक्रिया के साथ बीतता है। शिक्षा मानव को न सिर्फ पशु से इंसान बनाती है बल्कि हमे उन उपहारों से परिचित कराती है, जो प्रकृति ने जन्मजात योग्यताओं के रूप में हमे सौंपे है।

हम ज़िन्दगी को जिस नज़रिए से देखते हैं, हम वैसे ही बन जाते हैं।  शिक्षा हमे वो दृष्टि देती है, जिससे बड़े से बड़ा लक्ष्य हम खुद चुनते है और अपनी शिक्षा का उपयोग कर ही हम उस लक्ष्य को पाते है।

ज़िन्दगी के हर पड़ाव पर शिक्षा काम आती है। चाहे कोई छोटा सा काम अंजाम देना हो या कोई बड़ा और जटिल कार्य को सफलतापूर्ववक पूरा करना हो, अगर आप उन कार्यो के लिए शिक्षित और योग्य है तो आप आसानी से काम को बखूबी अंजाम दे सकते है।
शिक्षा का महत्व तो सिर्फ वही बता सकता है, जिसने अशिक्षित होने का नुकसान उठाया है। शिक्षा न सिर्फ एक व्यक्ति के लिए, एक परिवार, एक समुदाय तथा एक राष्ट्र के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है
 शिक्षा व्यक्ति के जीवन में औपचारिक तथा अनौपचारिक रूप से सदैव चलती रहती है इसलिए शिक्षा को प्रक्रिया व परिणाम दोनों माना गया है।  
 विद्या सर्वश्रेष्ठ धन है।   अच्छा मित्र है। विद्या से विनय, विनय से योग्यता, योयता से धन और धर्म, धर्म से सब सुख प्राप्त होते हैं।  
 शिक्षा का वास्तविक अर्थ ज्ञान का अर्जन नहीं बल्कि ज्ञान का निर्माण करना है। शिक्षा के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।

स्वर्ण ज्योति

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